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Showing posts from January, 2025

संत शिरोमणि की भक्त शिरोमणि बेटी-कृपालु जी महाराज और डॉ. विशाखा जी की कृपा गाथा

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  संत जब इस धरती पर अवतार लेकर आते हैं, तो कभी भी अकेले नहीं आते. वे अपने साथ अपने लीला विस्तार और जीवों में कृपा वितरित करने के लिए अपने परिकर-जनों को साथ लेकर आते हैं. आज सारा विश्व मान रहा है कि जिस प्रकार विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने सनातन धर्म का महानतम ज्ञान जन साधारण को आसान भाषा में उपलब्ध करा दिया, प्रेम मंदिर, भक्ति मंदिर व कीर्ति मंदिर जैसे भव्य मंदिर स्थापित किये और निःशुल्क अस्पतालों, स्कूल, कॉलेज आदि जनता को समर्पित किये, वह संतों में अग्रणी सिद्ध हुए. जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज  के कार्यों को आगे बढ़ाने में उनकी बड़ी पुत्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने प्रमुख भूमिका निभाई और जीवन पर्यन्त अपने पिता एवं गुरु जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के संकल्पों को साकार करने हेतु अपना तन, मन प्राण समर्पित कर दिया. प्रियजन उनको स्नेह से बड़ी दीदी कहकर सम्बोधित करते हैं. बड़ी दीदी की निष्ठा से साकार हुआ वृन्दावन का प्रेम मंदिर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने श्री वृन्दावन धाम में जब प्रेम मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया तो  बड़ी दीदी  ने...

महिला सशक्तिकरण की बात सब करते हैं, डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने उसे कर के दिखाया

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  उत्तर प्रदेश (UP) के प्रतापगढ़ ज़िले में कुंडा (kunda) नाम का एक कस्बा है। कुछ दशकों पहले तक यहाँ के आस-पास के गाँवों में साक्षरता का स्तर बहुत ही निम्न था। पूरा इलाका भयंकर गरीबी की चपेट में था। महिलाओं (women) की स्थिति तो और भी दयनीय थी। ऐसे में विश्व के पाँचवें मूल जगद्गुरु, श्री कृपालु जी महाराज (Shri Kripalu Ji Maharaj) द्वारा स्थापित जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा कुंडा में शुरू किया गया कन्याओं के लिए निःशुल्क विद्यालय आशा की एक किरण लेकर आया। कुछ ही समय में सैकड़ों कन्याओं ने स्कूल में अपना नाम लिखवाया एवं मुफ्त, उच्च गुणवत्ता की शिक्षा का लाभ लेने लगीं। देखते ही देखते समाज की स्थिति परिवर्तित होने लगी। लड़कियाँ पढ़-लिख कर स्वावलम्बी बनने लगीं एवं डॉक्टर से लेकर पुलिस तक हर प्रकार के प्रोफेशन में अपना परचम लहराने लगीं। 2002 में जगद्गुरु श्री कृपालु जी महराज ने परिषत् की अध्यक्षता अपनी बड़ी सुपुत्री सुश्री डॉ. विशखा त्रिपाठी जी को सौंप दी। बड़ी दीदी के निर्देशन में, संस्था के जन-कल्याण के कार्यों में बढ़ोत्तरी ही होती चली गयी। कहते हैं कि जब आप एक लड़के को शिक्षित करते...

Dr. Vishakha Tripathi Ji's Final Rites: A Procession of Chants, Tears, and Gratitude

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  The final procession of  Dr. Vishakha Tripathi Ji , President of Jagadguru Kripalu Parishat, symbolized an extraordinary confluence of devotion, love, and dedication. Starting at Prem Mandir before sunrise, the procession reached Shyama Shyam Dham Ashram in Ramanreti. Following the completion of Vedic rituals, the journey proceeded through Banke Bihari Temple Road and Rangnath Temple before arriving at Keshi Ghat. Thousands of devotees, adorned in yellow attire, joined the procession, creating a saffron-hued wave of devotion that stretched for kilometers.  Final Darshan at Prem Mandir  A tragic road accident on the Yamuna Expressway near Greater Noida gravely injured all three Presidents of  Jagadguru Kripalu Parishat  – Dr. Vishakha Tripathi Ji, Dr. Shyama Tripathi Ji, and Dr. Krishna Tripathi Ji. Sadly, Dr. Vishakha Tripathi Ji departed for Golok shortly thereafter.  Her mortal remains were placed at Prem Bhavan within Prem Mandir for three days, a...

डॉ. विशाखा त्रिपाठी का निधन: कैसे जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की बेटी ने आगे बढ़ाये जन-कल्याण कार्य

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  जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जैसे संत इस धरती पर कई शताब्दियों में एक बार आते हैं। श्री कृपालु जी महाराज ने 1922 में उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में जन्म लिया और 16 वर्ष की आयु से ही भगवान् का धुआँधार प्रचार प्रारम्भ कर दिया। 91 वर्षों के अपने जीवन काल में उन्होनें भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वेदों-शास्त्रों के ज्ञान का भंडार खोल दिया। आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ उन्होनें लोगों की सामाजिक एवं शारीरिक उन्नति के लिए भी कई सराहनीय प्रयास किये, जिन्हें उनकी ज्येष्ठा सुपुत्री  डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी  ने बहुत लगन के साथ आगे बढ़ाया। जगद्गुरु कृपालु परिषत् का नेतृत्व जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने साल 2002 में जगद्गुरु कृपालु परिषत् की बागडोर अपनी तीनों सुपुत्रियों – डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी, डॉ. श्यामा त्रिपाठी जी और डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जी के हाथों में सौंप दी थी। इसी क्रम में डॉ. विशाखा त्रिपाठी जगद्गुरु कृपालु परिषत् और मनगढ़, कुंडा स्थित भक्ति मंदिर की अध्यक्ष्या नियुक्त की गयीं। तब ही से उन्होंने जीवों के आध्यात्मिक एवं भौतिक उत्थान के अपने जगद्गुरु पिता के लक...